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You are welcome once, your own website, today we will talk about IPC section 386 of the Indian penal court. What is it? It gives citizens rights to cones.
भारतीय दण्ड संहिता 1860 -
धारा 386 के अनुसार -
किसी व्यक्ति को मृत्यु या घोर उपहती के भय में डालकर उद्यापन -
जो कोई किसी व्यक्ति को स्वयं उसकी या किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु या घोर अपहती के भय में डालकर उद्यापन करता है। तो ऐसा करना एक प्रकार का अपराध होता है , और धारा 386 के अनुसार अपराधी को सजा दी जाती है।
जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति पर जबरदस्ती वसूली करता है , या किसी दूसरे व्यक्ति को किसी ऐसा डर दिखाता है, कि जैसे वह उसे मार ही डालेगा । तो यह बहुत ही गंभीर अपराध माना जाता है ।
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 386 यह अभिव्यक्त करती है -
कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को या फिर उसके परिजन को मृत्यु से भयभीत करता है , या फिर किसी तरह की गंभीर चोट पहुंचाने का डर दिखाकर धमकी देकर जबरन वसूली करता है। तो ऐसा करने वाला व्यक्ति आईपीसी की धारा 386 के अनुसार अपराधी होगा।
इस अपराध के लिए दण्ड का प्रावधान -
इस तरह के अपराधों में समझौता नहीं किया जा सकता है यह संज्ञेय और जमानती अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार केवल फर्स्ट ग्रेड मजिस्ट्रेट के पास होता है।
इस अपराध को करने वाले व्यक्ति को 10 साल के कारावास से और जुर्माना से या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है।
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