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You are welcome once, your own website, today we will talk about Fandamental rights of the Indian Constitution. About, Fandamental rights . What is it? It gives citizens rights to cones.
भारतीय संविधान-
मौलिक अधिकार -
भारतीय संविधान हर नागरिक को कुछ मूल अधिकार देता है, जो उसे सरकार के मनमाने और अन्याय पूर्ण कार्यों के खिलाफ संरक्षण देते हैं, और उसके लिए गरिमा पूर्ण जीवन की परिस्थितियों का निर्माण करते हैं । अपने मूल अधिकारों को
सुनिश्चित करने के लिए आप सीधे उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय में केस फाइल कर सकते हैं।
जबकि अन्य दूसरे मामलों के लिए निचली अदालत में केस फाइल करते हैं । वह इसके फैसले के खिलाफ अपील करते हुए दूसरे कोर्ट में जाते हैं ।
भारतीय संविधान में नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा का कार्य को सौंपा गया है, और विकास के लिए आवश्यक है , कि नागरिक इसके अभाव में व्यक्तित्व का विकास नहीं कर सकते हैं। मूल - अधिकार समान रूप से प्राप्त होते हैं।
तथा संविधान में संशोधन की प्रक्रिया के अलावा इनमें किसी तरह का संशोधन नहीं किया जाता है। यह मूल अधिकार व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास हेतु मूल रूप से आवश्यक है ।
इसके अवरुद्ध होने में व्यक्ति का विकास रूक जाता है, कि अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता ।
*भारतीय संविधान में वर्डित मूल अधिकार*
मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 किया गया है। और मौलिक अधिकार तथा समाज के प्रत्येक नागरिक को समान रूप से मिले हुए हैं। 44 वें संशोधन के पास होने से पूर्व संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों को 7 श्रेणियों में बांटा जाता था, परंतु इस संशोधन के अनुसार संपत्ति के अधिकार को सामान्य कानूनी अधिकार बना दिया गया , इसलिए अब भारतीय संविधान में नागरिकों को छह मौलिक अधिकार प्राप्त है ।
छह मौलिक अधिकारों के प्रकार -
समानता का अधिकार का वर्णन अनुच्छेद 14 से 18 तक किया गया है, कि राज्यों के लिए समान रूप से लागू किया जाएगा।
अनुच्छेद 16 के अनुसार-
लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता राज्य के अधीन किसी पद पर नियुक्ति से संबंधित विषयों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता होगी।
अनुच्छेद 18 के अनुसार-
उपाधियों का अंत होना चाहिए। विधि संबंधी सम्मान के अलावा और कोई भी उपाधि द्वारा प्रदान नहीं की जाएगी। और भारत का कोई भी नागरिक राष्ट्रपति की उपाधि प्राप्त कर सकता हैं । इन अधिकारोंका वर्णन किया गया है।
अनुच्छेद 19 के अनुसार -
इसके अन्तर्गत 6 तरह की स्वतंत्रता का वर्णन किया गया है, जिसमें बोलने की स्वतंत्रता का अधिकार और बिना हथियारों के एकत्रित होने की स्वतंत्रता , संघ बनाने की स्वतंत्रता का अधिकार, देश में निवास करने की स्वतंत्रता का अधिकार।
किसी भी व्यक्ति को एक अपराध के लिए सिर्फ एक ही बार सजा का प्रावधान किया गया है जो कानून है इसी के तहत सजा मिलेगी ।
जीवन की स्वतंत्रता का अधिकार, अनुच्छेद 21 के अनुसार -
अनुच्छेद 22 के अनुसार -
किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया जाए तो उसे गिरफ्तार होने की वजह पूछने का पूरा अधिकार दिया गया है , किसी वकील से सलाह लेने का भी अधिकार है, शोषण के विरुद्ध अधिकार,तथा किसी अन्य प्रकार से जबरजस्ती करना , और उल्लंघन कानूनन अपराध है ।
अनुच्छेद 24 के अनुसार -
किसी भी बच्चे को कारखाने या अन्य किसी जोखिम भरे काम पर नहीं लगाया जा सकता ।
अनुच्छेद 25 के अनुसार-
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिए गया है, इसके अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को मान सकता है । और अपनी इच्छा से उसका पालन कर सकता है।
अनुच्छेद 26 के अनुसार -
व्यक्ति को अपने धर्म के लिए संस्थाओं की स्थापना करना और उनकी खरीद पर किया बेकारी खर्च तथा इसी प्रकार का अन्य जबरजस्ती से लिया हुआ श्रम, निषेध ठहराया गया है ।
अनुच्छेद 27 के अनुसार -
राज्य किसी भी व्यक्ति को ऐसे कर देने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है , जिसकी आय किसी विशेष धर्म या फिर संप्रदाय की उन्नति के लिए निश्चित की गई है ।
अनुच्छेद 28 के अनुसार -
कोई भी शिक्षण संस्थान या फिर विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने या फिर धर्म के लिए उपदेश सुनने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं।
अनुच्छेद 29 के अनुसार -
संस्कृति व शिक्षा संबंधी अधिकार, प्रत्येक व्यक्ति दिए गए है । इसके अनुसार अल्पसंख्यक वर्ग अपनी भाषा और संस्कृति को सुरक्षित रखता है इसके अनुसार कोई भी अल्पसंख्यक वर्ग के शैक्षणिक संस्था चला सकता है , और सरकार उसे अनुदान देने में किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा ।
भीमराव अंबेडकर -
संवैधानिक उपचारों का अधिकार- संवैधानिक अधिकारों के उपचार के अधिकार को डाक्टर भीमराव अंबेडकर ने संविधान की आत्मा कहा है । इसके अनुसार मौलिक अधिकारों के लिए आवेदन करने का अधिकार प्रदान किया गया है।और यह शक्ति प्रत्येक व्यक्ति को प्रदान की गई है।
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