Welcom to legal help law in hindi. -
You are welcome once, your own website, today we will talk about IPC section 388 of the Indian penal court. What is it? It gives citizens rights to cones.
भारतीय दण्ड संहिता 1860 , धारा 278A -
वायुमंडल को स्वास्थ्य के लिए अपायकर बनाना -
स्मोकिंग करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 278 के तहत एफ आई आर दर्ज की जाएगी , और सजा का प्रावधान भी किया गया है।
दंड संहिता के निर्माताओं ने अपनी दूरदर्शिता से सामाजिक समस्याओं के प्रति जागरूक किया है ।
क्योंकि आजकल हो रहे छोटे - बड़े, बुरे कामों से साधारण लोगों का जीवन प्रदूषित होता है।
इसलिए यह एक दंडनीय अपराध होता है ।
भारतीय दंड संहिता 1860 के द्वारा 278 के अनुसार -
अगर कोई व्यक्ति कुछ ऐसे कार्य करता है , और जिसमें वह दोषी पाया जाएगा । तो ऐसा करना एक प्रकार का अपराध होता है।
जैसे कि वायुमंडल को प्रदूषित करना, वायुमंडलीय हवा को इस तरह से प्रदूषित करना, जिससे कि जनसाधारण के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो , पानी , प्रतिष्ठान और सिनेमाघरों , बस स्टॉप या फिर रेलवे स्टेशन आदि स्थानों पर स्मोकिंग करना दंडनीय अपराध माना जाता है ।
कोर्ट के द्वारा राज्य सरकार को यह निर्देश दे दिए गए हैं, कि दंड प्रक्रिया संहिता 1860 की धारा 133 क्लास 1 अंतर्गत यह आदेश जारी करके सार्वजनिक स्थानों पर स्मोकिंग करने को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए।
आईपीसी की धारा में यह अपराध गैर जमानती अपराध होते हैं।और इनकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट के द्वारा की जा सकती है ।
इस अपराध के लिए दण्ड का प्रावधान -
यह अपराध करने वाले व्यक्ति को ₹500 के जुर्माने से दंडित किया जाएगा ।
उदाहरणतया -
सर्वोच्च न्यायालय ने स्मोकिंग के कारण जनजीवन को होने वाली गंभीर हानि को देखते हुए ,
* मुरली केश बनाम भारत संघ -
के वाद में यह निर्धारित किया कि सार्वजनिक स्थलों पर स्मोकिंग पर पूरी तरह से रोक लगाई जानी चाहिए, और इसके कारण उत्पन्न होने वाले रोगों के कारण प्रतिदिन लगभग तीन लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो रही है । जो कि वास्तव में एक गंभीर चिंता |
0 Comments