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You are welcome once, your own website, today we will talk about IPC section 388 of the Indian penal court. What is it? It gives citizens rights to cones.
भारतीय दण्ड संहिता -1860 -
आईपीसी की धारा 388 के अनुसार -
मृत्यु या आजीवन करावास, आदि से दंडनीय अपराध का अभियोग लगाने की धमकी देकर उद्यापन-
इस अपराध के लिए आईपीसी में यह प्रावधान किया गया है ।
अक्सर हम कहते हैं, कि यह कलयुग है और कलयुग में भाई-भाई का नहीं है, और कोई भी रिश्ता रिश्ते जैसा नहीं रह गया है, और आज के समय में कोविड-19 की वजह से लोगों की नौकरियां भी चली गई हैं।
कुछ ऐसे ही हालात और बाहरी भी होते हैं, और जिसकी वजह से दुनिया भर में अपराध बढ़ने लग जाता है ।
आज के समय में अपराधों ने भी एक गंभीर रूप धारण कर लिया है । क्योंकि आजकल आपने देखा होगा कि कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को ब्लैकमेल करने लग जाता है, या फिर किसी गलत आरोप में फंसाने की धमकी देता है, जान से मार डालने की धमकी देता है। एक व्यक्ति द्वारा व्यक्ति इस तरह के झूठे आरोप लगाने वाले व्यक्ति पर आईपीसी की धारा 388 लगाई जाती है।
इस अपराध के लिए दण्ड -
इस धारा के अपराध को किसी भी तरह से समझौता योग्य नहीं माना जाता है। इनकी सुनवाई का अधिकार फर्स्ट ग्रेड मजिस्ट्रेट के पास होता है।
इस अपराध के लिए 10 साल का कारावास और जुर्माना या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है।
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