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You are welcome once, your own website, today we will talk about Crpc section 467 and 468 of the Indian court. What is it? It gives citizens rights to cones.
यदि शिकायत देर से हो तो? yadi shikaayat der se ho to? -
अपराध की शिकायत देर से की जाए तो आपका केस कमजोर पड़ जाता है क्या किसी अपराध की शिकायत देर से की जाए तो आपका केस कमजोर पड़ जाता है कई बार कंडीशन ऐसी हो जाती है कि किसी अपराध की शिकायत हम उसी टाइम नहीं कर पाते और कुछ समय के बाद जब शिकायत करने जाते हैं तो पुलिस सबसे पहला सवाल यही करती है कि अब तक शिकायत क्यों नहीं करवाई कोर्ट में दूसरी पार्टी का वकील पी एफ आई आर दर्ज होने का फायदा उठाता है अब सवाल ये उठता है कि क्या एफ आई आर दर्ज कराने में देरी हो जाए तो आपका केस कमजोर पड़ता है या फिर नहीं |
crpc कि धारा 467 -
शिकायत में देरी हो जाती है तो दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के अध्याय 36 में धारा 467 से 3:00 तक कुछ अपराधियों पर निर्णय लेने के लिए सीमा ज्ञान की अंतिम समय सीमा के बारे में बताया गया है तो आपको इनके बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है ताकि इन फ्यूचर कोई भी अधिकारी या फिर पुलिस या वकील शिकायत की समय सीमा को लेकर क्वेश्चन करें तो आपको इसके बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए और आप निडर होकर अपनी परिस्थितियों के बारे में बताएं और दृढ़ता पूर्वक मामला दर्ज करवाने का निवेदन करें |
crpc कि धारा 468 -
अगर हम कोर्ट के द्वारा किसी भी अपराध को संज्ञान में लेने की समय सीमा के बारे में जाने तो सीआरपीसी की धारा 468 ये कहती है कि सीमा काल के बाद शिकायत दर्ज नहीं की जा सकती इस समय सीमा के बाद किसी भी अपराध की शिकायत पर विचार नहीं करता है |
सीमा काल की अवधि| -
काल की अवधि के बारे में बात करें तो अगर कोई अपराध केवल जुर्माने से दंडित नहीं होता है तब 6 महीने के अंदर आप शिकायत दर्ज करवा सकते हैं अगर कोई अपराध की सजा 1 साल और जुर्माना होती है तब ऐसे अपराध 1 साल के अंदर आपको दर्ज करवानी होती है उसी तरह से अगर कोई अपराध की सजा और जुर्माने से दंडित होता है तब ऐसी सजा की शिकायत आप 3 साल के अंदर करवा सकते हैं |
जिन अपराधों की सजा कठोरतम होती है| -
सीआरपीसी की धारा 468 का कहना है कि जिन अपराधों की सजा कठोरतम होती है जैसे कि हत्या व बलात्कार इत्यादि होती है इनकी शिकायत के लिए कोई समय सीमा नहीं होती ऑरकुट आपकी शिकायत को जल्द ही संज्ञान में ले लेगा तो जो परिसीमा है |
उसका आरंभ कब होता है| -
उसका आरंभ कब होता है जब भी पीड़ित व्यक्ति को पुलिस अधिकारी को पता चलता है तभी से परिसीमा यानी कि अंतिम अवधि कालका की शुरुआत हो जाती है अगर हमारा समय निकल जाने के बाद अपराधी का पता लगता है तब परिसीमा काल उसी समय से स्टार्ट होता है लेकिन अगर अपराध किसी दूसरे स्थान पर हुआ है तब कोर्ट कुछ समय के लिए लगा देता है और कोर्ट के केस को संबंधित कोर्ट में भेज देता है |
लोक सेवक द्वारा किया गया अपराध| -
अगर किसी लोक सेवक द्वारा किया गया है तब संबंधित विभाग के अधिकारी से मंजूरी दी जाती है इसके अलावा किसी राज्य में भाग गया है गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार है गिरफ्तार नहीं किया जाता तब तक उसको छोड़ दिया जाता है ऐसा होता है कि आपकी उस दिन खत्म हो रही है जिस दिन कोर्ट बंद है तब आप उस दिन के बाद खुला रहेगा अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं और आपकी शिकायत का संज्ञान लेगा और तभी से आरंभ हो जाएगा |
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