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You are welcome once, your own website, today we will talk about IPC section 494 of the Indian penal court. What is it? It gives citizens rights to cones.
पति या पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करना एक अपराध है pati ya patni ke jivan kaal me punah vivah karna ek apradh hai.-
1.पति या पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करना एक अपराध है| -
I.P.C की धारा 494 यह व्यक्त करती है। कि इस धारा के अंतर्गत पति या पत्नी अपनी मर्जी से शादी करने का अधिकार दिया गया है ।(Hindumarriage act )हिंदू मैरिज एक्ट भी नागरिकों का सम्मान करता है, पर भारतीय दंड संहिता इसकी स्वतंत्रता इसकी सीमाएं भी निर्धारित करता है । पति या पत्नी अपने जीवन साथी के जीवित रहते हुए उससे तलाक लिए बिना दूसरी शादी कर लेते हैं तो ऐसी शादी अपराध मानी जाती है।
2. I.P.C की धारा 494 के अनुसार-
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 494 यह कहती है कि अगर कोई पत्नी या पति अपने जीवनसाथी के जीवित रहते हुए , उस व्यक्ति को बता कर शादी कर रहा है और दूसरी शादी कर लेता है तब ऐसी शादी करने वाला व्यक्ति आईपीसी की धारा 494 के अंतर्गत दोषी पाया जाएगा।
इसे अपराध कब नहीं माना जाएगा-
इसे अपराध तब नहीं माना जाता है जब इसकी कुछ शर्तों को पूरा करने पर , पति या पत्नी दूसरी शादी कर लेते हैं। तब यह किसी भी तरह का अपराध नहीं होता है।
A. दूसरी शर्त यह कि अगर पति-पत्नी बिना किसी सूचना के 7 सालों से ज्यादा से अलग रह रहे हैं, तब इन 7 सालों के अंदर का पति को भी पता नहीं होना चाहिए कि उसकी पत्नी कहां है और पत्नी को भी यह पता नहीं होना चाहिए कि पति कहां है तभी यह नियम लागू होगा। और वो कानूनी तौर पर दूसरा विवाह कर सकते है।तब यह अपराध नहीं होता है ।
B.तीसरी शर्त यह है कि अगर किसी व्यक्ति ने कानूनी प्रक्रिया के द्वारा कोर्ट से तलाक ले लिया गया है ,और पारस्परिक रीति-रिवाज के अनुसार तलाक हुआ है तब ऐसा करना अपराध नहीं माना जाएगा। और वह व्यक्ति दूसरा विवाह कर सकते है।
* यह कानून मुस्लिम समाज पर लागू नहीं होता है। -
मुस्लिम समाज में सिर्फ पुरूषों पर यह कानून लागू नहीं होता है ,मुस्लिम महिलाओं पर यह कानून लागू होता है ।अन्य सभी धर्मो में दूसरे विवाह को अपराध माना गया है, और यह कानून सभी धर
* यह कानून मुस्लिम समाज पर लागू नहीं होता है।
मुस्लिम समाज में सिर्फ पुरूषों पर यह कानून लागू नहीं होता है ,मुस्लिम महिलाओं पर यह कानून लागू होता है ।अन्य सभी धर्मो में दूसरे विवाह को अपराध माना गया है, और यह कानून सभी धर्मो पर लागू होता है ।
*भारतीय दंड संहिता 1860 के अन्तर्गत ऐसे अपराधों की सुनवाई का अधिकार फर्स्ट ग्रेड मजिस्ट्रेट( first grade majistrate)के पास होता है।
इस अपराध के लिए सजा-
इस अपराध में दोषी पति या पत्नी को 7 साल का कारावास और जुर्माना या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है।
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