> '/> IPC की धारा 375, 376, और 493 क्या है? IPC ki dhara 375, 376 Aur 493 kya hai?

IPC की धारा 375, 376, और 493 क्या है? IPC ki dhara 375, 376 Aur 493 kya hai?

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 You are welcome once, your own website, today we will talk about IPC section 375,376,493 of the Indian penal court. What is it? It gives citizens rights to cones.

IPC की धारा 375, 376, और 493 क्या है? IPC ki dhara 375, 376 Aur 493 kya hai?-


IPC की धारा 375, 376, और 493 क्या है


 1.बलात्संग, बालात्कार एक अपराध है?-

दो प्रमियो की जिंदगी के सफर में एक वक्त ऐसा भी आ जाता है कि इस सफर का अंजाम बहुत ही बुरा हो सकता है उम्मीदों का बोझ और झूठे वादों की चुभन दो प्यार करने वालों को जानी दुश्मन में तब्दील कर देती  है और इस तरह प्यार भरे रिश्ते का कानूनी पंचनामा हो जाता है । और कानून इसे रेप शब्द से जोड़ देता है।उन्हें यह पता ही नहीं चलता कि प्यार धोखा मिलता है  और उसे करने वाले प्रेमी युगल अपने माता पिता की मर्जी के खिलाफ  एक दूसरे के साथ रहने का फैसला कर लेते हैं लड़के ने लड़की वादा किया कि वह जल्द ही उससे शादी कर लेगा कुछ दिनों के बाद अपनी परेशानियों का हवाला देकर लड़के ने लड़की को  बहलने की कोशिश की और उसे घर वापस लौट जाने के लिए कहा।


2 .पुलीस स्टेशन में F.I.R-

लड़के से प्यार में मिले  धोखे से दुखी और मजबुर होकर लड़की ने लड़के के खिलाफ़ एक्शन लेने का मन बना लिया और अपने  माता-पिता के सपोर्ट से उसने पुलिस में F. I.R. दर्ज कराई और पुलिस द्वारा लड़के के विरोध में कोर्ट में आरोप लगाया गया कि लड़के ने धोखा देकर लड़की के साथ संबंध बनाए हैं कोर्ट ने लड़के पर रेप केस चलाने का आदेश दिया फिर  लड़के ने  उस केस के विरोध में,High court में रेप केस चलाने की अर्जी दी और कहा कि वह लड़की से शादी करने को तैयार है जिसे High court ने खारिज कर दिया और कहा कि लड़का ऐसा किसी पछतावे में आकर नहीं कर रहा है बल्कि सजा से बचने के लिए कर रहा है इस तरह के obserbation के साथ ही हाईकोर्ट ने लड़के पर रेप की धाराएं लगाने का आदेश दिया । क्योंकि हमारे देश में यह कानून लागू होता है कि रेप की गई किसी महिला के साथ कौन से स्टेट से लागू होते हैं ।


3. In Indian penal code under Section 375-

I.P.C के section 375 में रेप को परिभाषित किया गया है रेप की परिभाषा  दी गई है कि अगर किसी महिला के साथ कोई पुरुष जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाता है तो यह होगा वेजाइनल सेक्स बीएफ दुराचार यानी के शॉट मा


 4.नाबालिग से रेप-

अगर कोई लड़की नाबालिग है और वह( sexual intercourse )सेक्सुअल संबंध के लिए अपनी सहमति देती है तो यह सहमति वह सहमति नहीं होगी कि किसी शख्स ने किसी महिला को डरा धमका कर सहमति ली हो या उसके किसी नजदीकी को जान से मारने की धमकी देकर के सहमति ली हो तो ऐसी सहमति भी उसकी जायज़ सहमति नहीं मानी जाएगी । और ऐसा समझते हुए उसकी सहमति है तब भी वह ब्यक्ति आरोपी है। तो भी ऐसी सहमति से बनाया गया सम्बंध जायज़ नहीं है  कि समाज के सामने शादी करने का वादा करना और  मांग में सिंदूर भर देना का वादा करके महिला की सहमति प्राप्त कर ली हो और उस वक्त उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं हो या फिर उसे बेहोश करके या फिर नशे की हालत में अगर उसकी सहमति ली गई हो या फिर उस हालत में उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए गए हो तो ऐसी सहमति उसकी जायज़ सहमति नहीं है section में बताया गया है कि यहां सहमति का कोई मतलब नहीं होता जिस में गलत बातें या धोखे से सहमति ली जाती है। शादी का वादा करके संबंध बनाए जाने के मामले को रेप के दायरे में इसी Provision  के साथ देखा जाता है।


5. Age limit in rape case-


रेप के केस में उम्र क्या मायने रखती है लड़की की उम्र क्या मायने रखती है Educational certificate में लिखी हुई उम्र उसकी उम्र का सबसे बड़ा proof होता है अगर 10th class का certificate मौजूद नहीं है तो पढ़ाई की शुरुआत के वक्त स्कूल वगैरह में लिखवाई गई उसकी उम्र का certificate मान्य होता है अगर वह भी ना हो तो फिर corporation और पंचायत वगैरह का certificate में होता है इन तीनों के ना होने पर टेस्ट कराया जाता है किसी भी  लड़की की उम्र 16 साल से लेकर 18 साल तक आ जाती  है।  अगर कोई लड़की है जिसकी उम्र 18 साल से ज्यादा है सबसे अहम और सबसे जरूरी सबूत क्या होता है रिपोर्ट छेड़छाड़ के मामले में लड़की का बयान सबसे अहम सबूत होता है अगर बयान पुख्ता है और इसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं है तो फिर किसी दूसरे सबूत की जरूरत नहीं पड़ती है ऐसे मामले में 

शिकायत करता है उसी को साबित करना पड़ता है मामला रेप का है  या फिर छेड़छाड़ का हो या फिर अन्य अपराध है। अगर पुलिस को इस अपराध के होने की जानकारी कहीं से भी मिले तो ऐसे मामले मेF.I.R दर्ज कर सकती है शिकायत  अगर सीधे थाने में  करें तो पुलिस को  शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर सकती है।


6. आरोपी के बचाव का मौका-


आरोपी को ट्रायल (Trial)के दौरान अपने बचाव करने  का मौका दिया जाता है और दौरान वह अपने को बेगुनाह साबित करने के लिए गवाह और सबूत पेश कर सकता है ।

 Case- एक केस में suprem court ने अपने judgment में कहा था कि जब मामला संगत मिलने पर पुलिस एक्स एक्स एक्स और  छेड़छाड़ से जुड़े किसी भी मामले में सीधे F.I.R दर्ज कर सकती है और आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है ऐसे मामलों में पुलिस को वारंट की जरूरत नहीं है। छेड़छाड़ से जुड़े कई मामलों और रेप से जुड़े मामलों में आरोपी को जेल भेजने का provision है इस तरह के मामलों में भी केस की merit के हिसाब से जाती है ऐसे बयानों के लिए तो यह  ही सबसे अहम सबूत होता है supreme court ने अपने judgment में कहा था कि अगर लड़की का बयान उठता है और भरोसे के लायक है तो फिर किसी दूसरे सबूत की जरूरत नहीं है।

 

7. Delhi rape case laws-

 दिल्ली में नौकरी मिलने के बाद काम करने वाले एक लड़की और एक लड़का की।लड़की ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई कि न केवल लड़के ने उससे शादी का वादा करके उससे शारीरिक संबंध बनाए हैं बल्कि पैसे उधार लिए हैं उसने पुलिस में इस बात की भी शिकायत की कि लड़के की बहन और उसकी मां ने आकर उसके फ्लैट में उसके साथ मारपीट की है रिपोर्ट करने पर उन्हें  गिरफ्तार कर लिया गया जब मामला court में पहुंचा तो लड़की पुलिस में की गई शिकायत के अनुसार बयान देने के लिए सामने नहीं आई और ना ही उसने अपने साथ बने sexual relationship या फिर मारपीट के बारे में कोई सबूत पेश किया।

 शादी से पहले संबंध बनाना या ना बनाना इसको नैतिकता के चश्मे से नहीं देखा जा सकता है ।इन चीजों को कानूनी नजरिए से जबकि कोई बालिग  है और वह अपनी मर्जी से संबंध बनाता है तो उसका अधिकार है लेकिन इस साल में अगर उसका पार्टनर उसको धोखा देता है तो उस पर केस चल सकता है रेप की definition में साफ तौर पर कहा गया है कि अगर शादी का झांसा देकर के लड़की की सहमति ली जाए और संबंध बनाया जाए


8. विवाह-


मैरिज के बारे में मैं आपको बताना चाहूंगा कि अगर एक पत्नी के द्वारा पति पर रेप  का आरोप लगाया है तो  पुलिस ने आरोपी पति  को गिरफ्तार कर लिया है और उसकी  पत्नी 15 साल से कम उम्र की नहीं है इसलिए कानून के दायरे में यह case रेप का केस नहीं बनता है अगर पत्नी पति की हरकतों से परेशान है तो वह  बस Domestic violence act के तहत केस दर्ज करा सकती है। लेकिन रेप का केस दर्ज नहीं होगा । Domestic violence का मतलब होता है कि किसी महिला के साथ किसी भी तरह की हिंसा या प्रताड़ना से उसको किसी भी तरह से प्रताड़ित  करना अगर महिला के साथ मारपीट की गई हो या फिर मानसिक प्रताड़ना उसको दी गई हो और उसको torcher किया गया हो तो वह चलने वाले केस गैर जमानती  होंगे। और इसमें दोषी पाए जाने पर 1 साल तक की कैद के साथ ही ₹20000 तक के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है ।


9.रेप केस में सजा-

 रेप के केस में कितनी सजा का प्रावधान किया गया है कितनी सजा मिल सकती है इस  मामले में 2 साल से लेकर 7 साल तक की कैद की सजा का प्रावधान (provision) है अगर किसी लड़की से शादी का ड्रामा रखने के बाद शारीरिक  संबंध बनाने की सहमति ली जाती है और बाद में पता चलता है कि लड़के ने झूठ बोला था तो लड़की की शिकायत पर section 493 के तहत केस बनता है और दोषी पाए जाने पर ज्यादा से ज्यादा 10 साल तक की सजा हो सकती हैऔर रेप के लिए I.P.C के section  376 के तहत कम से कम 7 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्र कैद की सजा का प्रावधान किया गया है।  जिसके कारण महिला (vejitative state emergency situation)वेजिटेटिव स्टेट एमरजैंसी सिचुएशन में चली जाए तो दोषी को ज्यादा से ज्यादा फांसी तक की सजा हो सकती है। इसके लिए पहले से ही दोषी करार दिया गया हो।



10. IPC Section 493 -

यदि किसी लड्की से झूठा शादी का ड्रामा करने के बाद सम्बंद बनाने की सहमती ली जाती है और बाद मे पता चलता है लड्के ने झूठा वादा किया था तो लडकी कि शिकायत IPC Section 493 के तहत दर्ज कि जायगी | और उसपे कार्यवाही कि जायेगी| और दोषी पाये जाने पर 10 साल तक कि सजा हो सकती है|


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