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You are welcome once, your own website, today we will talk about Crpc section 2 (d) of the Indian p court. What is it? It gives citizens rights to cones.
परिवाद किसे कहते हैं दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 2 (d) के अनुसार परिवाद से मतलब मजिस्ट्रेट द्वारा कार्यवाही किये जाने के लिए उसको मौखिक या लिखित रूप में दिया गया वह अभी कथन जिसमें या स्पष्ट किसी व्यक्ति ने चाहे वह ज्ञात हो या अज्ञात हो उसने अपराध किया है
आज हम बात करेंगे कि जब कोई व्यक्ति अपराध करता है तो उसके खिलाफ कोर्ट में मजिस्ट्रेट द्वारा कार्यवाही कैसे की जा सकती है कई बार ऐसा होता है कि किसी व्यक्ति में कोई अपराध किया और पीड़ित व्यक्ति उसके खिलाफ थाने में जाकर शिकायत दर्ज करवाता है उसके बाद पुलिस से अपराधी मिलकर अपने खिलाफ मुकदमे को खत्म करवा देता है तब पीड़ित व्यक्ति को ऐसा लगता है कि उसको इंसाफ नहीं मिल पाएगा लेकिन ऐसा नहीं है यदि किसी पीड़ित व्यक्ति का मुकदमा पुलिस द्वारा खत्म किया जाता है तो वह पीड़ित व्यक्ति अपराधी के खिलाफ कोर्ट में शिकायत कर सकता है कोर्ट में शिकायत करने के लिए परिवार कोर्ट में दायर करना पड़ता है |
परिवाद किसे कहते हैं ? -
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 2 (d) के अनुसार परिवाद से मतलब मजिस्ट्रेट द्वारा कार्यवाही किये जाने के लिए उसको मौखिक या लिखित रूप में दिया गया वह अभी कथन जिसमें या स्पष्ट किसी व्यक्ति ने चाहे वह ज्ञात हो या अज्ञात हो उसने अपराध किया है | परिवाद करने के आवश्यक कार्य जो निम्न लिखित हैं
दोस्तों आज हम बात करने जा रहा है कंप्लेंट (complant case) परिवाद केस की संपूर्ण प्रक्रिया के बारे में कंप्लेंट केस कोर्ट में कैसे दर्ज करें | फाइलिंग से लेकर के जजमेंट की संपूर्ण प्रक्रिया शुरू करते हैं और देखते हैं क्या कानूनी प्रावधान दिए गए जो लिखित रूप में मजिस्ट्रेट के समक्ष की जाए वह कम प्लेन होती है|
Crpc कि धारा 191 -
कोई परिवाद मजिस्ट्रेट के समक्ष अगर केस करना चाहते हैं तो उसको कंप्लेंट बोलते हैं दोस्तों जुडिशल मजिस्ट्रेट होते हैं उनको संज्ञान ले धारा 191 तहत|
Crpc कि धारा 200 -
तथा धारा 200 सीआरपीसी के तहत कंप्लेन में वादी के व्यान लिए चाहते हैं जो कि मजिस्ट्रेट के होने पर ही होते हैं यदि मजिस्ट्रेट को लगता है कि परिवाद में संज्ञान लेना चाहिए तो संज्ञान लेता है अन्यथा उसे निरस्त कर देते है|
Crpc कि धारा 202 -
धारा 202 सीआरपीसी के तहत लिऐ जाते हैं | उस कंप्लेंट में जो घटना व घटना से संबंधित होते हैं गवाहों के बयान दर्ज किए जाते हैं और कंप्लेंट में जो कंटेंट्स है उसके वेश के प्रथम दृष्टया पर कमेंट होता है तो मजिस्ट्रेट के प्रतिवादी खिलाफ समन जारी करने का आदेश पारित कराता है|
प्रतिवादी की जमानत -
Crpc कि धारा 244 -
प्रतिवादी के जमानत पर हाजिर होने के बाद फिर धारा 244 crpc मे वादी के बयान होते है चाहे उससे प्रतिवादी का वकील कुछ करास एग्जामिनेशन भी कर सकता है | और गवाहों की सूची इसे अपने कब आओगे पत्रावली में दाखिल कर दी जाती है |
Crpc कि धारा 245 -
दोस्तों मजिस्ट्रेट को अगर लगता है कि उक्त व्यक्ति के खिलाफ चार्ज के लिए मेटेरियल पर्याप्त है चार्ज बनने के लिए ऑफिस चार्ज बनाएगा 245 crpc में अभियुक्त सारे कर देगा दोस्तो चार्ज बनने के बाद कंप्लेनेंट अपना दोबारा स्टेटमेंट देना चाहता है तो दोबारा स्टेटमेंट कंप्लीट 246 सीआरपीसी के स्टेज पर लिया जाए| दोस्तों उसे डिफेंस काउंसिल के द्वारा क्रास एग्जामिनेशन पूरा कर लिया जाता है कि 247 crpc ओर से बचाव पक्ष में अपनी गवाही न्यायालय में दी जाती है मुलजिम की गवाही होने के बाद कंप्लेनेंट की गवाही हो गई है इसके बाद किस में होता है दोष मुक्त कर देगा या न्यायालय अभियुक्तों को सजा कर देगा | दोस्तों यह थी संपूर्ण प्रक्रिया कंप्लेंट केस की यह मामलों का परिवाद मामलों की संपूर्ण प्रक्रिया है| उम्मीद करता हूं कि इस article में दी गई जाकारी नए-नए एमिनेम कोई जानकारी अपना बहुमूल्य समय निकालकर मेरे article को प्ढ्नेे के लिये धन्यवाद |
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