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You are welcome once, your own website, today we will talk about IPC section 106 or Section 96 Indian penal code. of the Indian court. What is it? It gives citizens rights to cones.
* प्राइवेट प्रतिरक्षा ,भारतीय दण्ड संहिता -IPC self defence.-
धारा 96- 106-
Section 96 Indian penal code.
प्राइवेट प्रतिरक्षा में की गई बातें-
कोई बात अपराध नहीं है जो प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग में की जाती है।
सुरक्षा के बारे में तो आप लोगों ने जरूर सुना होगा इसका मतलब होता है, कि अपने शरीर या प्रॉपर्टी की रक्षा के लिए इसका प्रयोग किया जाता है ।और उसके लिए किसी को मार भी सकते हैं । तब यह मर्डर( murder) नहीं कहलाएगा बल्कि यह प्राइवेट प्रतिरक्षा (self defence) कहलायेगा। और इस के अन्तर्गत ऐसा करने वाले व्यक्ति को कोई सजा नहीं दी जाएगी। Indian penal code में section 96 से लेकर 106 तक की सभी धाराओं में सभी व्यकतियों को प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार दिया गया है ।
प्रमुख पांच परिस्थितियों के अन्तर्गत यदि कोई व्यक्ति पति प्राइवेट प्रतिरक्षा के लिए यदि किसी व्यक्ति की जान ले लेते हैं, वह कार्य मर्डर नहीं कहलाएगा । बल्कि प्राइवेट प्रतिरक्षा यानी (self defence ) कहलायेगा। और ऐसा करने वाले व्यक्ति को कोई सजा नहीं दी जाएगी ।
1.लूट -
अगर कोई आपके साथ लूट करता है, या रात में घर में सेंध लगाता है या आग लगा देता है या फिर चोरी करने लिए किसी घर में घुस जाता है और इन सब से व्यक्ति की जान को खतरा हो , तो हमला करने वाले व्यक्ति को जान से मार सकते हैं । तब यह मर्डर नहीं कहलाएगा बल्कि प्राइवेट प्रतिरक्षा कहलाएगा ।
2.रेप -
जब किसी लड़की को यह एहसास होता है कि कोई व्यक्ति उस पर हमला करने वाला है या फिर उसका रेप करने वाला है, तो सेल्फ डिफेंस के लिए उस व्यक्ति को जान से मार सकती है ।
कोर्ट इस तरह के हमले को मर्डर की कैटेगरी में नहीं रखता है , बल्कि इसको सेल्फ डिफेंस कहा जाता है।
3.हमला -
4. kidnape -
अगर किसी आदमी का अपहरण (kidnape) हो गया और सेल्फ डिफेंस में हमला कर दें ,और इस हमले के दौरान उस व्यक्ति की हो जाए तो इसको मर्डर नहीं बल्कि प्राइवेट प्रतिरक्षा कहा जाएगा ।
5.acid attack -
यदि कोई व्यक्ति किसी महिला के ऊपर एसिड अटैक (acid attack) कर रहा है, तो वह महिला, अपने बचाव में या फिर कोई दूसरा व्यक्ति उस महिला के बचाव में एसिड अटैक करने वाले व्यक्ति को जान से मार देता है , तो इस स्तिथि को भी मर्डर नहीं कहा जाएगा ।
*सामने वाले व्यक्ति को सिर्फ उतनी ही हानि पहुंचा सकते हैं जितनी वह आपको क्षति पहुंचाना चाहता है ।
Case law -
KM Nanavati vs state of Maharashtra 1959 -
इस केस में एक nebi ऑफिसर था ,जिसने अपनी पत्नी के प्रेमी को जान से मार दिया था, यह तो सबको पता था कि नानावटी ने प्रेम आहूजा को जान से मारा है। लेकिन बहस सिर्फ इस बात पर हुई थी , कि उसे झगड़े कारण क्या है? प्राइवेट प्रतिरक्षा के लिए मारा गया था, या फिर प्लान बना करके उसका मर्डर किया गया था ।
राम जेठमलानी ने अपने करियर की शुरूआत की थी ,राम जेठमलानी ने हाई कोर्ट में दलील दी थी, कि यह प्लान बना करके किया गया मर्डर था, क्योंकि जिस समय हत्या की गई थी उस वक्त प्रेम अहूजा टॉवल लपेटे हुए था तो अगर कोई हाथापाई या कोई झगड़ा होता तो टावल उनके शरीर पर नहीं होना चाहिए था, प्लान बना करके उनका मर्डर किया गया था। राम जेठमलानी की ये दलील पेस की थी।
निर्णय-
इसके बाद Highcourt और Suprem court से KM Nanavati को उम्र कैद की सजा हुई थी। हालांकि वो 3 साल जेल में रहने के बाद उनकी सजा को माफ कर दिया गया था।
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