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IPC की धारा 221 क्या है? IPC ki dhara 221 kya hai?

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 You are welcome once, your own website, today we will talk about IPC section 221 of the Indian penal court. What is it? It gives citizens rights to cones.

IPC की धारा  221 क्या है? IPC ki dhara 221 kya hai?


IPC की धारा  221 क्या है



 Section 221 in Indian penal code 1860 -


पकड़ने के लिए आबद्घ लोक सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोप-


जो कोई ऐसा लोक सेवक होते हुए, को किसी अपराध के लिए आरोपित, किसी व्यक्ति को पकड़ने या पतिरोध रखने के लिए लोक सेवक होने के नाते वैध रूप से आबद्ध है, ऐसे व्यक्ति को पकड़ने का साध्य लोप करना और ऐसे व्यक्ति के निकाल भागने के लिए साशय मदद करना, लोक सेवक  के लिए दंडनीय अपराध है।


Explanation -


अगर कोई पुलिस अधिकारी किसी आरोपी को गिरफ़्तार करती है , और  बिना उस पर कोई कार्यवाही किए  उसे पुलिस स्टेशन से छोड़ देता है, तो ऐसे पुलिस अधिकारी के खिलाफ इस धारा के अन्तर्गत F.I.R दर्ज की जाएगी।  क्योंकि भारतीय दंड संहिता के अनुसार अपराधी को कोर्ट में पेश करने से पहले छोड़ देना गंभीर अपराध है । 

इस स्तिथि में ऐसा करने बाला वह लोकसेवक I.P.C के section 221 इसके अन्तर्गत दोषी करार होगा । 

भारतीय दंड संहिता 1860 में  धारा 221 में इस  प्रोविजन में  इस  तरह के अपराध की सुनवाई फर्स्ट ग्रेड मजिस्ट्रेट First grade majistrate)के द्वारा की जाती है ।


ऐसे अपराध की सजा-

अगर कोई आरोपी  मृत्यु दंड से दंडित हो और ऐसे अपराधी को बिना कार्यवाही लिए पुलिस स्टेशन से  लोक सेवक द्वारा भगा  दिया गया है तो उसे 7 साल का कारावास और जुर्माना या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है।

 इसके अलावा आजीवन कारावास या 10 साल से दंडनीय अपराधी को भगाने पर 3 साल का कारावास और जुर्माना या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है ।

 

एक वाद के निर्णय के अनुसार मजिस्ट्रेट के आदेश के पर आरोपी को जेल की अभिरक्षा में भेजा गया था,परन्तु एक कांस्टेबल ने  उसे छोड़ दिया , और उस अपराधी की  जेल से भागने में मदद की गई ।  


अतः इसमें यह निर्णय लिया गया कि कॉन्स्टेबल ने अपने दायित्वों का उल्लंघन करते हुए, आरोपी को भगा दिया है । और इसलिए उस  पुलिस कांस्टेबल पर धारा 221 के अन्तर्गत कार्यवाही की गई और उसे दोषी ठहराया गया।


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