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IPC कि धारा 367 क्या है? IPC ki dhara 367 kya hai?

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IPC कि धारा 367 क्या है? IPC ki dhara 367 kya hai? -


IPC कि धारा 367 क्या है.



भारतीय  दण्ड संहिता 1860 धारा 367-


व्यक्ति को घोर उपहती, दासत्व आदि का विषय बनाने के उद्देश्य से व्यपहरण या अपहरण 


भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 367 के बारे में जो की अपहरण  करके बंधुआ मजदूरी के बारे में बात करती है तो चलिए जानते हैं कि इस धारा के अंतर्गत किस तरह के मामले दर्ज किए जाते हैं और इसमें कितनी संख्या है ।


 यह  गुलामी प्राचीन काल में हुआ करती  थी ।

 भारतीय नागरिकों का अपहरण करके उनसे गुलामी कराई जाती थी, और उन गुलामों को  बंधक बनाकर रखा जाता था और उन्हें गंभीर रूप से दंडित किया जाता था ।

आज के वर्तमान समय में भी कुछ  देश ऐसे हैं जहां पर आज भी इंसानों को खरीदा और बेचा जाता है, लेकिन भारत में  अगर कोई व्यक्ति अपनी किसी भी प्रकार की ताकत का उपयोग करके किसी व्यक्ति को  डरा धमकाकर उसे गुलाम बनने के लिए बाध्य करता है, या फिर बंधुआ मजदूर बनाता है। 


तो भारतीय दंड संहिता 1860 में इसके लिए  प्रावधान किया गया है , 

 कि किसी व्यक्ति से गुलामी करवाना  या उसको दास बना कर रखना किसी भी प्रकार की  चोट की धमकी देकर  या आप्रकृतिक कामवासना वाले काम करवाना एक अपराध है। 

 ऐसा अपराध कारित करने वाला व्यक्ति I.P.C की धारा 367 के अंतर्गत दोषी माना जाता है ।

 यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं ,यह अपराध संज्ञेय अपराध होते हैं, इनकी सुनवाई का अधिकार  सिर्फ सेशन कोर्ट (seshation court)के पास होता है। 


* सज़ा, Punishment-

  

अगर इस अपराध के लिए सजा की बात करें तो इस अपराध में 10 साल का कारावास और जुर्माने से दंडित किया जाता है.|


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