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डॉक्टर मरीजो को भर्ती करने से मना नही कर सकता है| -
* ऐसे रोगियों के लिए बिस्तर उपलब्ध है और यह चिकित्सा नैतिकता के मूल सिद्धांतों में से एक है मुख्य न्यायाधीश दलबीर राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने कहा कि अस्पताल की प्राथमिक जिम्मेदारी चाहे वह सरकारी हो या फिर निजी हो उन लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल करना होता है उनकी आवश्यकता होती है
* याचिकाकर्ताओं द्वारा कोर्ट के सामने जनहित याचिका पेश करके यह मामला उठाया गया था कि अस्पतालों में रोगियों के प्रवेश से संबंधित है रांची और निजी अस्पतालों में कोविड-19 रोगियों के लिए कितने बैठे उपलब्ध हैं इसके संबंध में कोई डेटाबेस भी नहीं है जिसकी किसी व्यक्ति तक पहुंच और इसके अलावा आरोप यह था कि पैड उपलब्ध होने के बावजूद अस्पताल को भी 19 रोगियों को स्वीकार करने से इनकार करते हैं
** राज्य के वकील ने अदालत को अवगत कराया कि राज्य सरकार ने एक डेटाबेस बनाया है जिसे किसी के द्वारा विकसित किया जा सकता है और जो अस्पतालों में बैठ की उपलब्धता के बारे में सभी आवश्यक जानकारी देते हैं अस्पतालों में अस्पताल आदि से संबंधित जानकारी उपलब्ध है|
* इस बात से इंकार किया कि कोई मामला सामने आया कि सरकारी अस्पताल में उपलब्ध होने के बावजूद भी नहीं मिला एक चिकित्सा संस्थान के के बावजूद कोविड-19 रोगियों को प्रवेश देने से इनकार करने वाले किसी भी अस्पताल का एक ठोस उदाहरण है तो याचिकाकर्ता पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य नियामक आयोग के नोटिस में इस बात को ला सकते हैं इस तरह की शिकायत किए जाने पर अस्पताल के खिलाफ उचित कानूनी कार्यवाही करेगा तो उसके बाद कोई भी अस्पताल कोविड-19 के मरीजों को उपलब्ध है तो दाखिला करने से मना नहीं कर सकेगा|
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