welcom to legal help law in hindi.
You are welcome once, your own website, today we will talk about
Article 32 of the Indian Constitution. About, Article 32 or 226. What is it?
It gives citizens rights to cones.
मौलिक अधिकरो को लागू करने के लिये संवैधनिक उपचार | -
अनुच्छेद 32 (1) -
(2) अनुच्छेद 32 सुप्रीम कोर्ट को यह शक्ति देता है कि वह निर्देश, आदेश, शमादेश,जारी करें ,जिसमें निम्नलिखित समादेश शामिल है|
(अ) बंदी प्रत्याशी करण
(ब) परमादेश ,
(स) उत्प्रेषण ,
(द) अधिकार प्रछा
(य) प्रतिषेध आदि |
(3) संसद कानून द्वारा किसी दूसरे न्यायालय को अपने छेत्रधिकार की स्थानीय सीमाओं (Local Limits) के अंदर सुप्रीम कोर्ट द्वारा खंड 2 के अधीन प्रयोग की जाने वाली सभी या किन्हीं शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार देती है |
(4) संविधान द्वारा गठित प्रावधान के सिवाय इस अनुच्छेद द्वारा गारंटी किए गए अधिकारियों को निलंबित नहीं किया जा सकता है |
अनुच्छेद32 (2) -
सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 32 (2) के छेत्र की व्याख्या करते हुए चिरंजीत लाल बनाम यूनियन आफ इंडिया में के की अनुच्छेद 32 (2) विशिष्ट मामलों की आवेशक्ताओ के अनुरूप अपनी रिपोर्ट देने के मामले में अतियदिक विस्तृत छेत्रधिकर प्रदान करता है ,और पितिशानर का आवेदन केवल इस आधार पर खारिज नहीं किया जा येगा की उसकी प्रार्थना पत्र उचित लेख के लिए नहीं की गई| अत: सुप्रीम कोर्ट को यह शक्ति है कि वह आवश्यकतानुसार निम्नलिखित समादेश पर किसी को भी जारी करके पिती शनर को अनुरोध प्रदान करे|
1. बन्दी प्रत्यक्छिकरन (He was Corpus) -
बन्दी प्रत्वकछिकरन का शाब्दिक अर्थ है बन्दी को न्यायालय के समक्ष उपस्थित करो | यदि किसी व्यक्ति को किसी गैर कानूनी ढंग से कार्य करने पर किसी अधिकारी द्वारा बन्दी बनाया जाता है तो उसे न्यायालय समक्ष उपस्थित करे | और वह इस लेख द्वारा खुद या अपने किसी रिश्तेदार द्वारा भी की जा सकती है | जब न्यायालय द्वारा उस प्रार्थना पत्र पर लेख जारी किया जाता है तो उस अधिकारी को जिसने उसको अपनी अभिरछा (Custody) में लिया है , उस है आदेश दिया जाता है कि वह बन्दी को उसपे लगाए गए आरोपी के साथ न्यायालय में प्रस्तुत करे|
(2) परमादेश (Mandamus) -
परमादेश सबसे उपचारात्मक ढ़ंग का लेख है , जिसका शाब्दिक अर्थ , हम आदेश देते है | इस लेख द्वारा सुप्रीम कोर्ट किसी व्यक्ति या लोक प्राधिकारी जिसके अंतर्गत सरकार और निगम भी शामिल है या निचले न्यायालयों को आदेश देता है कि यदि किसी व्यक्ति को गैर कानूनी तरीके से उसके पद से हटाया गया है या उस पद पर कार्य करने से वंचित किया गया है तो जिसका वह अधिकारी है तो यह लेख उसके पद को वापस देने के लिए जारी किया जाएगा बशर्ते की ऐसा पद सार्वजनिक प्रकार का हो|
1 Comments
Thanks for nice information..
ReplyDeletetop criminal defense lawyers|ccriminal law firms near me|24 hour criminal lawyer|affordable criminal lawyer|criminal law attorney