केस में समझौता कैसे करें?
कभी कभी क्या होता है कि कोई छोटा झगड़ा हो जाता है और केस दर्ज हो जाता है, बाद में सोचते है कि हमने गलत किया और अब हम क्या करे। केस दर्ज होने के बाद आप समझौता भी कर सकते है।
किसी भी केस में समझौता करने के लिए उस केस की प्रकृति पर निर्भर करता है। यदि जिन धाराओं में आपका केस दर्ज है उन धाराओं में समझौता दिया गया है तो निम्नलिखत आधारो पर समझौता होगा। -
1. थाने में FIR दर्ज होने पर -
कभी कभी क्या होता है कि जल्दबाजी से थाने में FIR दर्ज हो जाती है और बाद में वादी व प्रतिवादी के बीच समझौता हो जाता है तब समझौता करने के लिए वादी व प्रतिवादी दोनों एक शपतपत्र थाने में देगें की हमारा समझौता हो गया है ,जिससे क्या होगा की पुलिस FR लगाके कोर्ट में भेजदेगी ,और आपका समझौता हो जाएगा।
2.कोर्ट में गवाही होने पर -
यदि आपका केस कोर्ट में उन धाराओं में दर्ज है जिनमें समझौता हो सकता है और आप अपनी जमानत करा लेते है फिर आपका केस जब गवाही होने पे आता है तब आप गवाहों से समझौता करके , गवाहों को गवाही से मुकरवा देते है तो आपके केस में समझौता हो जाएगा।
3.झूठे केस में समझौता कैसे होता हैं?
समझौता करने लिए वादी व प्रतिवादी दोनों सहमत होना चाहिए। कुछ केसो में जब थाने की पुलिस प्रतिवादी को इस्तलाह करती है तब वादी व प्रतिवादी के बीच थाने में ही समझौता हो जाता है। ये उन केसो के बारे में है जिन केसो में पुलिस को यह ज्ञात हो जाता की केस झूठा है।
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