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You are welcome once, your own website, today we will talk about IPC section 197 of the Indian penal court. What is it? It gives citizens rights to cones.
भारतीय दण्ड संहिता 1860 -
धारा - 222 के अनुसार -
दंडादेश के अधीन या विधिपूर्वक सुपुर्द किये गए व्यक्ति को पकड़ने के लिए आबध लोक सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोप -
अगर किसी गिरफ्तार व्यक्ति को भगाने में कोई पुलिस अधिकारी उस व्यक्ति की मदद करता है , तो आईपीसी की धारा 222 के तहत उसके ऊपर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।
Explain -
कई बार ऐसा होता है, कि कोई शातिर अपराधी गिरफ्तारी होने के बाद भी पुलिस अधिकारी या फिर कर्मचारियों की मदद से फरार हो जाता है। तो ऐसी कंडीशन में अपराधी को फरार होने में मदद करने वाले पुलिस कर्मचारी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जा सकती है ।
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 222 व्याख्या करती है -
कि लोकसेवक पुलिस अधिकारी या पुलिस कॉन्स्टेबल अपराधी को छोड़ दे । जिसे गिरफ्तारी के लिए कोर्ट का आदेश दिया गया हो उसको छोड़ दिया जाए , तब वह लोकसेवक इस धारा के अंतर्गत दंडनीय होगा ।
भारतीय दंड संहिता की धारा 222 में हो सकते हैं , या फिर अगर वह अपराधी पुलिस भी हो सकती हैं। इनकी सुनवाई सेशन कोर्ट या फिर फर्स्ट ग्रेड मजिस्ट्रेट के द्वारा होती है।
इस अपराध के लिए सजा -
अगर वह अपराधी मृत्यु दंड से दंडित नहीं है , तब उस अपराधी को पुलिस हिरासत से भगा देने पर आजीवन कारावास से या 14 साल के कारावास या फिर जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
इसके अलावा अगर वह अपराधी आजीवन कारावास का अपराधी है, तो पुलिस कर्मचारी को 7 साल का कारावास या जुर्माना या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है। तो वह पुलिस कर्मचारी 3 साल का कारावास या जुर्माना या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है ।
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