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दहेज दावरी क्या होती है-
डिफाइन करते हुए दहेज प्रतिषेध अधिनियम में कहा गया कि मैरिज के लिए मेरिट से पहले या बाद में जब मैरिज के टाइम एक पक्ष द्वारा यह उसके रिलेटिव द्वारा दूसरे पक्ष को डायरेक्ट इनडायरेक्ट रूप से जो भी संपत्ति दी जाती है वह दहेज है दावरी कहलाती है दहेज निषेध अधिनियम दहेज लेने और दहेज देने दोनों पर रोक लगाता है दोनों ही इस कानून के तहत अपराध माने गए हैं
अगर कोई व्यक्ति दहेज देता है लेता है उसकी मांग करता है तो इस कानून के तहत अपराधी माना जाएगा बात करते हैं कि दहेज लेने के लिए इस तरह की व्यवस्था की गई है क्लीनिक से रिलेटेड दोनों पक्षों में जो भी करार हो उसे अवैध करार माना जाएगा जिसमें उन व्यक्तियों के लिए भी सजा का प्रावधान किया गया है जो दहेज लेने के लिए दूसरों को प्रेरित करते हैं
1982 अधिनियम -
1982 अधिनियम द्वारा पति और उसके रिलेटिव को सजा देने की व्यवस्था की गई जिनमें भी इसके तहत जिन्हें भी स्त्री के साथ क्रूरता करने का दोषी पाया जाएगा उन्हें सजा का प्रावधान किया गया है उसके बाद 1984 में दहेज प्रतिषेध अधिनियम पारित करके उपहार लेने के नाम पर दहेज लेने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने का प्रयास किया गया
संशोधन -
1986 डिफाइन करके उसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान भी किया गया 2 अक्टूबर 1984 से लागू की गई नियमावली के अनुसार विवाह के टाइमिंग पर वर-वधू को जो भी उपहार माता-पिता व सगे संबंधियों द्वारा दिए जाते हैं उसकी एक लिस्ट बनानी होगी जिस पर वह और वधु दोनों के साइन और अंगूठे का निशान लगाना जरूरी होगा
इस अधिनियम की धारा 8 के अनुसार -
इसे एक कांग्रेसी संगे अपराध की कैटेगरी में रखा गया है और इसमें पुलिस अधिकारी को इसकी जांच पड़ताल करने का पूरा अधिकार दिया गया है पुलिस ऑफिसर को मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना या बिना वारंट के किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का हक नहीं दिया गया करते हैं
सजा -
दहेज प्रथा के ऊपर बनाए गए कानूनों के ऊपर लंदन में सहयोग करने वाले लोगों पर 5 साल की कैद और ₹15000 तक का जुर्माना का प्रावधान किया गया है
भारतीय दंड संहिता की धारा 498 A -
दहेज के लिए महिला को सताना भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के तहत आता है जिसमें पति या उसके घर वाले किसी भी तरह की प्रॉपर्टी या कीमती वस्तुओं की मांग करते हैं तो इसके लिए 3 साल की कैद और जुर्माने का प्रावधान किया गया है
भारतीय दंड संहिता की धारा 406 -
धारा 406 के अंतर्गत पति और ससुराल वालों के लिए 3 साल की कैद व जुर्माना दोनों का प्रावधान किया गया है यह धारा तब लगाई जाती है जब ससुराल वाले लड़की का स्त्रीधन उसे देने से मना करते हैं
भारतीय दंड संहिता की धारा 306 -
धारा 304 लगाई जाती है जब किसी लड़की की डेथ मैरिज के 7 साल के अंदर असामान्य परिस्थितियों में हो जाती है और यह साबित हो जाता है कि मौत से पहले उसे दहेज के लिए मजबूर किया गया था
सजा -
इस तरह के अंतर्गत पति तथा उसके घर वालों को कम से कम 7 साल की कैद यह जीवन कारावास की सजा हो सकती है उसके घरवाले रिलेटिव डायरेक्ट इनडायरेक्ट की मांग करते हैं तो उन्हें कम से कम 6 महीने की सजा 2 साल का कारावास की सजा और ₹10000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है
किसी भी व्यक्ति द्वारा प्रकाशित करना या मीडिया में के जरिए पुत्र या पुत्री की मैरिज की एवज में व्यवसाय का प्रस्ताव रखा गया है और उसे भी कम से कम 5 साल की कैद और ₹15000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है
धारा 113 A -
धारा 113A के अनुसार कोई महिला मैरिज के साथ साल के अंदर आत्महत्या करती है तो कोर्ट इस मामले की सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह मानेगा कि आत्महत्या उसके पति या उसके घरवालों द्वारा कराई गई है धारा 113 के अंतर्गत किसी व्यक्ति ने पत्नी की हत्या की है चाहे वह किसी तरह की गई हो यह चलता है कि हत्या दहेज ट्रोपॉलिट मजिस्ट्रेट यह फर्स्ट ग्रेड मजिस्ट्रेट के नीचे के अधिकारियों को नहीं दिया गया वैसे तो किसी भी मामले में अगर किसी पर कोई आरोप लगाता है तो आरोप को सिद्ध करने की जिम्मेदारी आरोपी पर होती है मगर इस अधिनियम की धारा 3 और धारा 4 के तहत रहे संबंधी मामलों में अपराध नहीं किए जाने पर इसे प्रूफ करने की जिम्मेदारी पति और उसके रिश्तेदारों पर होती है तो फ्रेंड्स यह |
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